meri awaz
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जगतजननी जगदम्बा आदिशक्ति का स्वरुप हूँ मैं,
आँचल में समेटे, दूध पिलाती उस ममता का दुलार हूँ मैं,
जिस शब्द से शुरू होती, मानव की पहचान हूँ मैं,
उस शब्द से उज्ज्वलित होती, नारी शक्ति का नाम हूँ मैं,
जन- जन के मुख में बसते, उन राम का नाद हूँ मैं,
रामायण में महकती, सीता नाम पर उन राम का आत्मविश्वास हूँ मैं,
श्रीकृष्ण की आधी काया में गहराती, राधा नाम का प्यार हूँ मैं,
जिन बुंदेलों से सबने सुनी, उस मर्दानी की कहानी हूँ मैं,
खूब लड़ी उसी मर्दानी, झाँसी का अभिमान हूँ मैं,
संसद के मुद्दे सुलझती, उस कुर्सी का सम्मान हूँ मैं,
गगन को छूती, आसमान नापती, उस परिंदे की उड़ान हूँ मैं,
जिस शब्द से शुरू होती, मानव की पहचान हूँ मैं,
उस शब्द से उज्ज्वलित होती, नारी शक्ति का नाम हूँ मैं.
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