meri awaz
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ये कौन सा देश है मेरा,
जहाँ ना लोगो में सुख है और ना ही लोगो में रूह है।
जहाँ ना लोगो में खून हैं,
और ना ही खून में टपकता दया का भाव हैं।
कपडे फटते हैं हर आबरू लुटती हैं,
हर गली में बदनाम होती कोई न कोई लड़की हैं।
ये कैसी सम्मानीय राजनीति हैं,
जहाँ हर विचारो में नापते जनता के ज़ज़्बात हैं।
भूखे पेट सोते बच्चे हर मलिन बस्ती में,
फिर भी कहते हर मलिन बस्ती में साँस लेता अम्बेडकर का नाम हैं।
कटोरा पटकता गाना गाता हर भिखारी,
मंदिर की सीढ़ियों पर तरसता हर अनाज के दाने का मोहताज़ हैं।
ये कैसी फूटती लोगो में आग हैं,
जहाँ धर्म के नाम पर हर मोहल्ला बटने को तैयार हैं।
कैसी हैं ये घिनौनी सियासत की चाहत,
जहाँ जनता के नोटों (पैसो) पर लिखा हर नेता का नाम हैं।
ये कौन सा देश हैं मेरा,
जहाँ ना लोगो में अमन हैं और ना ही लोगो में रहम का भगवान हैं।
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